डर लगने (फोबिया) के लक्षण और कारण
डर शुरू होने की वजह। डर क्यों लगता है
आज हम इस लेख के माध्यम से डर के मनोविज्ञान के बारे में बात करेंगे।
अक्सर लोग पुछते है कि कैसे दूर करें। बिना डर के कैसे जिया जाए। मानसिक तौर से कैसे मजबूत हो। अपने अंदर के डर को कैसे खत्म करे।
जो बहुत सारे अलग अलग तरह के डर होते हैं, जिसमें किसी को परीक्षा से डर लगता है, कुछ को स्टेज पर परफॉर्म करने से डर लगता है, किसी को हार्ट अटैक से मौत का डर लगता है, तो किसी को कैंसर जैसी बीमारियों के बारे में सुनने पर डर लगता है।
अलग अलग तरह के लोगो मे अलग अलग तरह के डर होते हैं। हम इस तरह के जो डर है, फोबिया है इससे कैसे दूर हो। ये जो डर है उसे कैसे अपने आप से दूर करें।
अगर हम अपने आप को डर से दूर करना चाहते हैं, तो सबसे पहले हमे ये समझना पड़ेगा, बहुत अच्छे से जानना पड़ेगा कि यह डर पैदा कैसे होता है।
जैसे आप किसी प्रश्न को हल करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको समझाना पड़ेगा कि जो प्रश्न बना है उस प्रश्न के पिछे का सिद्धांत समझना पड़ेगा तभी आप उस प्रश्न को हल कर पाओगे।
वैसे ही डर को हल करना चाहते है, उस डर से दूर होना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको समझाना पड़ेगा कि यह डर बना कैसे, यह डर पैदा कैसे हुआ।
आज हम इस लेख के माध्यम से आपको ये बताएंगे कि डर कैसे पैदा होता है।
- यह भी पढ़े डिप्रेशन क्या होता है
जो डर पैदा होता है उसके अंदर दो कारण होते हैं।
1_ कंडीशनिंग (ट्रेनिंग, अभ्यास)
2_ जनरलीजेशन (व्यापक बनाना, )
ये जो कंडीशनिंग और जनरलीजेशन हैं। ये एक वैज्ञानिक हुए थे "पेवलोव" महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने बहुत ही अच्छे से, बहुत ही आसान से प्रयोग से हालांकि हमारे लिए ये आसान है पर उनको सालों लग गए थे इस प्रयोग को करने में। इसको पेवलोव कंडीशनिंग एक्सप्रीमेंट बोलते हैं।
तो यहां पर इन दोनो "कंडीशनिंग और जनरलीजेशन" को इस्तेमाल करते हुए एक बहुत ही मजेदार अनुभव साझा कर रहे हैं। यह प्रयोग बहुत ही सादा और बहुत ही मजेदार प्रयोग है, इस प्रयोग को जानकर और इस प्रयोग से आपके जो डर को लेकर विचार है वो और ज्यादा खुलेंगे कि यह डर कैसे पैदा हो रहा है। और हम इसको पैदा हुए जानकर ही इसको ठीक कर सकते हैं, इससे बाहर आ सकते हैं।
वैज्ञानिकों ने एक बड़ा सा पिंजरा लिया। उस बड़े से पिंजरे में उन्होंने पांच बंदरो को डाल दिया। उन्होंने पिंजरे के बिचो बिच एक सीढ़ी लगा दी, और उस सीढ़ी के थोड़े से ऊपर कैलो का गुच्छा लगा दिया।
तो उन्होंने क्या देखा कि कुछ देर तक तो ये बंदर यहां पर बैठे रहे। फिर उनमें से एक बंदर सीढ़ी की तरफ दौड़ा, सीढ़ी के ऊपर चढ़ा और उन कैलो को खाने की कोशिश करने लगा। जैसे ही उसने कैले को खाने की कोशिश की तो वैज्ञानिकों ने एक ठंडे पानी की तेज धार इस बंदर के ऊपर डाली, और साथ में जो चार बंदर थे उनके ऊपर भी उसी समय पर ठंडे पानी की तेज धार डाली। जैसे ही उस बंदर पर ठंडे पानी की तेज धार डाली वो दौड़ कर अपने ग्रुप के पास आ गया। मतलब इस बंदर ने जो किया उसका परिणाम इस बंदर को मिला वो ही परिणाम उन चारों बंदरो को भी मिला। बाकि के जो चार बंदर थे उनके ऊपर भी ठंडे पानी की तेज धार डाली गई। थोड़ी देर बाद में वो बंदर वापस सीढ़ी की तरफ दौड़ा, ऊपर चढ़ा और कैले खाने की कोशिश की तो वापस उसके ऊपर ठंडे पानी की तेज धार डाली गई। और साथ में बाकी के चारों बंदरो पर भी डाली गई।
यहां पर दो चीजें कंडीशनिंग हो रही है। बंदरो का कैलो की तरफ भागना और ठंडे पानी की तेज धार का गिरना।
तो तीसरी बार मे जैसे ही वह बंदर वापस उस सीढ़ी की तरफ कैले को खाने के लिए दौड़ता है तो बाकि के चार बंदर थे वो उसको पकड़ लेते हैं और उसको अपनी तरफ खींचने लग जाते हैं। वो अपनी तरफ क्यू खींच रहे थे क्योंकि बंदरो को लगा कि जैसे ही यह कैलो की तरफ भागेगा, इसके कैलो की तरफ भागने की जो सजा है वो हमें भी मिलेगी। हमारे ऊपर भी ठंडे पानी की तेज धार गिरेगी, तो उन चारों बंदरो ने उस बंदर को पकड़ लिया और उसको कैलो की तरफ भागने नहीं दिया। तो यह चीज यहाँ पर कंडिशन हो गई।
तो वैज्ञानिकों ने अगले प्रयोग में उन पुराने बंदरो में से एक बंदर को बाहर निकाल लिया और उसकी जगह पर एक नए बंदर को अंदर डाल दिया। बाकि जो चार बंदर थे वो पुराने थे और एक नया।
तो इन चारों को तो पता था कि कैलो की तरफ भागने की सजा क्या है, इस नए वाले को पता नहीं था।
तो ये नया वाला बंदर सोचता है कि ये चारों बंदर कैलो की तरफ क्यों नहीं जा रहे हैं। कैले पड़े हैं, सीढ़ी लगी है और ये क्यों नहीं खा रहे हैं। तो ये जैसे ही कैलो की तरफ दौड़ता है बाकि के जो पुराने, चार बंदर थे वो उसको अपनी तरफ खींच कर अपने पास पकड़ कर लाते है और उसकी पिटाई कर देते हैं। इसको समझ में नहीं आता कि ये सब मेरी पिटाई क्यो कर रहे हैं। थोड़ी देर तो सहम कर बैठ जाता है, फिर थोड़ी देर बाद में वो वापस भागने की कोशिश करता है बाकि के जो चारों बंदर थे उनको लगता है कि ठंडे पानी की तेज धार गिरेगी तो ये वापस उस नए वाले बंदर को पकड़ कर खींचते हैं और पिटाई कर देते हैं। तो नए वाले बंदर को समझ में आ जाता है कि वे कैले खाने के लिए नहीं बल्कि देखने के लिए है।
- यह भी पढ़ें: कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी पार्ट 2
फिर अगले प्रयोग में वैज्ञानिकों ने पुराने बंदरों में से एक और बंदर को कम कर देते हैं, उसकी जगह पर एक और नया बंदर अंदर डाल देते हैं।
मतलब अब तीन बंदर पुराने+दो बंदर नए। तो जो नए दो बंदर है उनमें से एक जो अभी हाल ही में नया आया है वो इन चारों को देखता है कि वे चारों ये कैले क्यों नहीं खा रहे हैं। इसको कुछ समझ में नहीं आता है और वो कैलो की तरफ भागता है तो बाकि के तीन बंदर थे वो फिर उसको पकड़ कर पीट देते हैं, और इस बार जो नया बंदर आया था इससे पहले वाला जिसको पता नहीं था कि ठंडे पानी की तेज धार गिरती भी है क्या? , उसको नहीं पता था फिर भी वह इस पिटाई के अंदर शामिल हों जाता है। वो भी इस नए वाले बंदर को जो हाल ही में आया था, उसको पीट देता है।
तो धिरे धिरे वैज्ञानिक जो सारे पुराने बंदर थे उनको एक एक करके बाहर निकाल देते हैं, उसकी जगह नए बंदर आ जाते हैं। उन नए बंदरो में से एक भी बंदर उन कैलो की तरफ नहीं भागता, जबकि इन नए बंदरो में से किसी के ऊपर भी ठंडे पानी की तेज धार नहीं डाली गई थी। फिर भी ये बंदर इन कैलो की तरफ नहीं भागते। क्यों नहीं भागते? क्योंकि कैलो की तरफ भागना और ठंडे पानी की तेज धार का गिरना इसके बीच में कंडीशनिंग हो जाती है।
फिर धिरे धिरे जो कंडीशनिंग है वो बाकी पिटाई की तरफ भी जनरलाइज हो जाती है।
तो इन पांचों बंदरों के अंदर एक डर रहता है ये कैले खाने के लिए नहीं है ये कैले सिर्फ देखने के लिए हे। तो ये पांचों नए बंदर है इनमे एक बड़ा डर बन जाता है। इनका जो मस्तिष्क खंड है, उस मस्तिष्क खंड के अंदर ये नकारात्मक चीज बन जाती है कि इनको नहीं खाना है इनको खाते ही कोई न कोई अप्रिय घटना घटेगी।
- यह भी पढ़ें डर पैदा कैसे होता है
तो हमारे समाज के अंदर भी कुछ इस तरह के डर ही हमें घेरे रखते हैं। कुछ इस तरह के डर से ही हम हमेशा उलझे हुए रहते हैं, उनके अंदर फंसे हुए रहते हैं कि पता नहीं क्या हो जाएगा। इससे ये हो जाएगा, उससे ये हो जाएगा ये डर हर वक्त हमे सताते रहते हैं। हालांकि इन सब चीजों के साथ हमारी कंडीशनिंग नही हुई है पर फिर भी जनरलीजेशन के कारण डर लगना शुरू हो जाता है।
जिन लोगों के साथ कंडीशनिंग हुई, उन सभी लोगों ने उसका प्रचार प्रसार किया कि भाई ये मत करो, ऐसा मत करो। समाज के अंदर उनके नियम बने, उन नियमों को जनरलाइज कर दिया गया। सब लोगों के ऊपर जनरलाइज कर दिया गया कि यह सब लोगों पर लागू होता है।
तो जो दूसरे लोगों के डर थे, जो दूसरे लोगों की कंडीशनिंग हुई थी जनरलीजेशन के कारण वो भी डरने लग गए जिनकी कंडीशनिंग नही हुई थी। तो इस तरह से ये डर लोगों के अंदर धिरे धिरे फैलता चला जाता है।
- यह भी पढ़ें सीबीटी। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी पार्ट 1
तो अब आपको शायद यह समझ में आ गया होगा कि जो डर पैदा होने की प्रक्रिया है उसके अंदर जो कंडीशनिंग और जनरलीजेशन क्या होता है।
जो डर पैदा होता है वो कंडीशनिंग और जनरलीजेशन के कारण होता है
- यह भी पढ़ें डर की परिभाषा
आप किसी भी चीज के डर से बाहर आना चाहते हैं तो इस चीज़ को बहुत अच्छे से समझाना पड़ेगा, बहुत बेहतरीन तरीके से जानना पड़ेगा क्योंकि जब डर से बाहर निकलना है तो इन्हीं दो चीजों को इस्तेमाल करते हुए डर से बाहर निकल पायेंगे।
डर से बाहर निकलने के लिए वापस रिकंडिशनिंग करनी पड़ेगी और जनरलीजेशन को भी हटाना पड़ेगा।
- यह भी पढ़ें डिप्रेशन शुरू कैसे होता है
तो अगले लेख में जानेंगे कि रिकंडिशनिंग क्या होती है और जनरलीजेशन को कैसे हटाएं। जिससे हम अपने अंदर के डर से बाहर निकल सकते हैं, अपने अंदर के डर से मुक्ति पा सकते हैं।

0 टिप्पणियाँ