डिप्रेशन क्या होता है, कब होता है। डिप्रेशन की पूरी जानकारी (अवसाद)
नमस्कार दोस्तों
आज हम इस लेख के माध्यम से डिप्रेशन (अवसाद) के बारे में बात करेंगे जो कि एक प्रकार का मानसिक विकार है। इस लेख का मुख्य उद्देश्य है कि डिप्रेशन (अवसाद) की जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना ताकि वो इस जानकारी का उपयोग करके एक बेहतर मानसिक स्वास्थ्य का लाभ ले सकें।
अवसाद के लक्षणों में मुख्य लक्षण रोगी का मन उदास सा रहने लग गया है, पहले जब वो अपने काम पर जाते थे, अपने ऑफिस जाते थे, कॉलेज जाते थे, स्कूल जाते थे, अपने परिवार के बीच में बैठ कर बात करते थे, अपने पारिवारिक व अपने सामाजिक कार्यक्रम में जाते थे तब उन्हे बहुत अच्छा लगता था, उन्हे बहुत मजा आता था, बड़ी खुशी महसूस होती थी, बड़ा आनंद आता था। परंतु आजकल उन सब चीजों में उनका मन एक जैसा रहने लग गया है, उनका मन उदास सा रहने लग गया है। अब किसी भी चीज मैं उनको अच्छा नहीं लगता ना उनको बात करना अच्छा लगता है, ना उनको ऑफिस जाना अच्छा लगता है, कहीं पर भी अच्छा नहीं लगता।
- यह भी पढ़ें: डर शुरू कैसे होता है
पहले जो किसी प्रॉब्लम को सुलझाते थे जो कि वो पहले से सुलझाते आ रहे हैं आजकल वो उस प्रॉब्लम को सुलझाने में आत्मविश्वास की कमी सी महसूस करने लग गए हैं। वो शिकायत करते है कि उनका कॉन्फिडेंस लेवल काफी कम हो गया है। वो काफी कन्फ्यूज से रहने लग गए हैं कि इस काम में पता नहीं क्या होगा, इस काम को मै करू या ना करू, इसमें मुझे सफलता मिलेगी या नहीं मिलेगी, जबकि पहले उसी काम को बड़े ही आत्मविश्वास के साथ पूरा कर पा रहे थे।
उनकी शिकायत रहती है कि किसी भी चीज़ या काम को लेकर उनके विचार जो है वो पूरी तरह से नकारात्मक आने लग गए हैं, हर चीज या काम का परिणाम उनको नकारात्मक ही दिखते हैं।
पहले जहां वो बहुत ज्यादा सकारात्मक रहते थे, बहुत ज्यादा पॉजिटिव रहते थे पर आजकल वो अपने आप के लिए, अपने आसपास के लोगों के लिए, अपने वातावरण के लिए, अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह नकारात्मक हो चुके हैं, नकारात्मक विचारों ने पूरी तरह से घेर सा लिया है।
अवसाद के मरीजों में सबसे ज्यादा मरीज नींद की शिकायत करते हैं कि पहले जहां वो बिस्तर पर जाते ही उनको शुरुआत के 10_15 मिनट में नींद आ जाती थी, सुबह जब उठते थे तो अपने आप को बहुत ज्यादा ताज़ा महसूस करते थे, पुरा दिन बहुत अच्छा गुजरता था परंतु आजकल जैसे ही बिस्तर पर जाते हैं तो उनको नींद लेने में बड़ी तकलीफ होती है, आजकल जो नींद आती है वो 2_3 घंटे बाद नींद आती है या फिर एक बार नींद आ जाती हैं तो पूरी रात बार बार नींद खुलती हैं l पूरी रात वो बिस्तर पर करवटे बदलने में ही रात निकाल देते हैं, वो जब सुबह उठते हैं तो जहां वो पहले सुबह 6_7 बजे तक उठ जाते थे वहीं आजकल वो 9_10 बजे उठने लगे हैं, अब जब उठते हैं तो बिल्कुल भी ताजा महसूस नहीं करते हैं, बिल्कुल भी फ्रेस फिल नहीं करते हैं।
एक दम थका थका सा महसूस करते हैं, पूरे दिन एक दम चुस्ती सी रहती है। काम करते है तो भी थका थका सा लगता है, बोलते है तो भी चुस्ती के साथ बोलते हैं, धीरे धीरे बोलते हैं, कम बोलने लग जाते हैं, काम भी कम करने लग जाते है, पूरे दिन मन ऐसा करता है कि वे बिस्तर पर ही सोए रहे। किसी से भी बात करने का मन नहीं करता, किसी से भी बोलने का मन नहीं करता ।
जहां ये सब चीजें पहले नहीं होती थी आजकल वो सब परिवर्तन होने लग गया। खान पान के बारे में भी काफी शिकायते करते हैं कि पहले जितना खाना खाते थे आजकल उससे दोगुना या तिगुना खाना शुरू कर दिया, उसकी वजह से उनका वजन भी बढ़ने लग गया या वहीं अवसाद की वजह से उनको खाना अच्छा नहीं लगता और वो कुछ भी नही खाते जिसकी वजह से उनमें न्यूट्रेशन की कमी की शिकायत भी हो सकती है।
- यह भी पढ़ें: डिप्रेशन शुरू कैसे होता है। क्यों होता है
इसके अलावा बहुत सारे मरीज अपने शारीरिक सिस्टम की भी शिकायत करते हैं कि उनका सिर जो है वो फटने सा लग गया है, सिर खींचने सा लग गया है, उनकी आंखे दर्द करती रहती है, आंखों में जलन सी रहने लग गई है। वो कुछ भी खाते हैं तो उनको खाने का टेस्ट अच्छा नहीं लगता, वो जब भी कुछ खाते हैं तो एसिडिटी की प्रॉब्लम रहने लग गई, कुछ भी खाते हैं तो गैस बनने लग गई, कब्जी सी रहने लग गई। शरीर में दर्द सा रहने लग गया है, सांस में दिक्कत रहने लग गई, चेस्ट में दिक्कत सी होने लग गई, चेस्ट भारी भारी सी रहने लग गई। उनकी गर्दन में अकड़न सी रहने लग गई, कमर में दर्द रहने लग गया, पूरा शरीर टूटने सा लग गया हो ।
उनके परिवार के सदस्य भी शिकायते है कि जैसे ही कोई बात होती है ये रोने लग जाता है, छोटी छोटी बातों में भी रोने लग जाता है, ऐसे ही नकारात्मक सी बातें करने लग जाता है।
इन सब शिकायतों के साथ जब कोई व्यक्ति किसी भी काम को करता है, किसी काम को करने की कोशिश करता है जैसे ही 2_3 काम में असफलता मिल जाती है तो उनको ऐसे लगने लग जाता है कि शायद वो किसी भी काम को अच्छे से नहीं कर पायेगा, किसी भी काम को वो पूरा ढंग से नहीं कर पायेगा जिसकी वजह से वो अपने आप को हेल्पलेस सा महसूस करने लग जाता है, उसको ऐसा लगता हैं कि जीवन में ऐसा कुछ बचा ही नहीं है जिसके लिए वो जीये, मेरे जीने का उद्देश्य क्या है इस तरह के विचार आने लग जाते हैं। जिसकी वजह से मरीज कोई गलत कदम उठा लेता है, बहुत सारे लोग जो नशे की गलत आदतों की ओर चले जाते हैं।
इस तरह के लक्षण 2 हफ्तों या उससे ज्यादा समय तक किसी में मिल रहे हो आपके परिवार या रिश्तेदारों में, या आप के आस पड़ोस में तो ये अवसाद के लक्षण हो सकते हैं जिसको सही समय पर पहचानना बहुत जरूरी है। अगर हम इसे सही समय पर पहचान लेते हैं, सही समय पर चिकित्सक से परामर्श ले लेते हैं तो इसका पूरा इलाज संभव है।
- यह भी पढ़ें: सीबीटी। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी पार्ट 1
इस तरह की प्रॉब्लम रहती है तो सदा सकारात्मक रहने का प्रयास करें। अपने आप को कोई ऐसे काम में व्यस्त रखे जो आपको ज्यादा पसंद हों और आपको अच्छा भी लगे। इन डोर और आउट डोर गेम में अपने आप को शामिल करें। अपने सामाजिक और पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल हों। ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिले उनसे बातें करें। अच्छी नींद लें। अच्छा खाना खाएं। और सही समय पर मानसिक रोग विशेषज्ञ से परामर्श ले

0 टिप्पणियाँ