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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी)। सीबीटी का घर पर अभ्यास कैसे करें। पार्ट 2

 कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी। (सीबीटी)। सीबीटी का घर पर अभ्यास कैसे करें। पार्ट 2


Cognitive behavioral therapy (CBT)


आज हम इस लेख के माध्यम से आप सभी के साथ में जो सीबीटी है उसका पार्ट 2 को शेयर कर रहे हैं। आज जिसमें हम सीबीटी के कुछ उदाहरण के साथ में ही आप अपने स्तर पर अपने घर पर सीबीटी का अभ्यास कर सकते हैं।

 अलग-अलग परिस्थिति के अंदर सीबीटी को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। और इसके प्रति आपकी अंतर्दृष्टि बढ़े। इसी को लेकर यह सीबीटी पार्ट 2 लेख आप सभी के साथ साझा कर रहे हैं। 

हमारे आसपास जितने भी लोग हैं। वो एक परिस्थिति के अंदर अलग-अलग तरह से सोचते हैं। सारे व्यक्ति एक परिस्थिति को लेकर एक समान नहीं सोचते। सब लोगों के जो विचार हैं वह अलग-अलग होते हैं। इसको हम उदाहरण के माध्यम से समझते हैं कि एक ही परिस्थिति में अलग-अलग लोग है वह किस तरह से अलग अलग सोचते हैं। 

जैसे मान लो कि हमारा कोई निजी व्यक्ति कोई रिश्तेदार हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है। यह एक परिस्थिति है अब देखिए कि अलग-अलग लोगों के दिमाग में कैसे अलग अलग विचार आते हैं। और उन विचारों से कैसे भावनाएं आती हैं।

1पहला व्यक्ति

मान लो जो पहला व्यक्ति है उसके दिमाग में कुछ इस तरह का विचार पैदा हो रहा है कि उसने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। उसने जानबूझकर मुझे जलील करने के लिए, मुझे नीचा दिखाने के लिए वह मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है। जब इस तरह का विचार दिमाग में आ रहा है तो उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है। बहुत ज्यादा क्रोध की भावना आ रही है।

2 दुसरा व्यक्ति

 दूसरे व्यक्ति के दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आ रहे हैं कि मेरा जो खास व्यक्ति है। वह मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है क्योंकि वह मुझे पसंद नहीं करता। मुझसे प्यार नहीं करता। मैं दिखने में शायद अच्छा नहीं हूं। मेरे अंदर कोई खास योग्यता नहीं है जो मैं उसको अपनी तरफ आकर्षित कर सकता हूं। जब इस तरह के विचार दिमाग में आ रहे हैं तो उसको जो भावना आ रही है। वह डिप्रेशन (अवसाद) की भावना आ रही है।

3 तीसरा व्यक्ति

 तीसरा व्यक्ति उसी परिस्थिति में इस तरह के विचार आ रहे हैं कि वह मुझे पसंद नहीं करता। इसलिए उसने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। शायद वह मुझसे ज्यादा किसी और को पसंद करता है। जब उसके दिमाग में इस तरह के विचार आ रहे हैं तो उसको बहुत ज्यादा जलसी महसूस होती है। बहुत ज्यादा जलन महसूस करता है।

4 चौथा व्यक्ति

 चौथा व्यक्ति है। उसके दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आ रहे हैं कि इसने मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। मैं इस तरह के व्यवहार को उचित (योग्य) नहीं मानता। मैं जहां भी जाता हूं लोग मेरे साथ बहुत अच्छे से पेश आते हैं। बहुत अच्छे से व्यवहार करते हैं। तो यहां पर जो उसको भावना आ रही है वह आहत होने वाली भावना आ रही है। उसको ऐसा लगता है कि वहां पर उस को अपमानित किया गया है।

5 पांचवा व्यक्ति 

पांचवें व्यक्ति है। उसके दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आ रहे हैं कि शायद मुझसे कोई गलती हो गई है। जिसकी वजह से वह नाराज हो गया है। जिसकी वजह से वह मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है। तो उसकी जो भावना आ रही है वह अपराध (दोष) वाली भावना आ रही है। उसे पश्चाताप हो रहा है। उसके व्यवहार को लेकर।

6 छठा व्यक्ति

 छठा व्यक्ति है। उसके दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आ रहे हैं कि शायद उसे अब मेरा साथ अच्छा नहीं लगता। इसलिए वह मेरे साथ खराब व्यवहार कर रहा है। तो उसको जो भावना आ रही है वह चिंता (घबराहट) की भावना आ रही है। अपने रिश्ते को लेकर भविष्य को लेकर असुरक्षा की भावना आ रही है। 

7 सातवा व्यक्ति

 सातवा जो व्यक्ति है। उसके दिमाग में जो विचार आ रहे हैं कि अच्छा है वह मेरे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है। अगली बार जब वह मेरे व्यवहार को लेकर मुझसे शिकायत करेगा। तब मैं उसके व्यवहार के बारे में बताऊंगा कि तुमने मेरे साथ इतना खराब व्यवहार किया था। तो उसे जो भावना आ रही है वह बदले वाली भावना आ रही है। तो वह खुशी महसूस करता है। 

8 आठवां व्यक्ति

आठवां व्यक्ति उसके दिमाग में इस तरह का विचार आ रहा है कि मैं उसके इस व्यवहार को लेकर तैयार नहीं था। तो यहां पर जो भावना है वह नाराजगी वाली भावना आती है। अपने आप को नाराज महसूस करता है।

9 नौवा व्यक्ति

नौवा व्यक्ति जो है उसके दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आ रहे हैं कि मैंने उसके इस तरह के व्यवहार को मंजूर नहीं किया था। मैं चाहता था की वह कुछ अच्छा व्यवहार करें। तो उसकी जो भावना आ रही है वह वहां पर निराशा महसूस करता है। 

10 दसवां व्यक्ति

और दसवां व्यक्ति है उसके दिमाग में इस तरह के विचार आ रहे हैं कि शायद मेरी किसी गलती या मेरे किसी कमी के बारे में उसे पता चल गया है। जिसके कारण वह मेरे साथ खराब व्यवहार कर रहा है। तो उसके अंदर जो भावना आ रही है वह शर्मिंदगी वाली भावना आ रही है। 


तो यहां पर 10 लोग हैं। 10 लोगों के दिमाग में एक ही परिस्थिति को लेकर अलग-अलग तरह के विचार आ रहे हैं। जब उनके विचार अलग-अलग हैं तो उनको जो महसूस हो रहा है वह भावना भी अलग-अलग आ रही है। परिस्थिति एक ही थी हमारा निजी व्यक्ति जो है वह हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा। और इस परिस्थिति के कारण जो अलग-अलग लोग हैं। उन लोगों में अलग-अलग तरह के विचार आ रहे हैं। और उनके अंदर भावना अलग अलग आ रही है।

 एक के अंदर जहां गुस्सा आ रहा है। दूसरे के अंदर डिप्रेशन (अवसाद) हो रहा है। तीसरे को जलसी महसूस हो रही है। चौथा व्यक्ति अपने आप को अपमानित महसूस कर रहा है। पांचवा जो है वह अपने आप को दोषी मान रहा है। छठा जो है उसको घबराहट महसूस हो रही है। सातवे को बदले की भावना के कारण खुशी महसूस हो रही है। आठवां व्यक्ति नाराजगी महसूस कर रहा है। नौवा व्यक्ति निराशा महसूस कर रहा है। तो वही दसवां व्यक्ति शर्मिंदगी महसूस कर रहा है।

 तो एक ही परिस्थिति विचार अलग-अलग तो भावना भी अलग-अलग। तो हम यहां यह समझ गए कि जो परिस्थिति होती हैं। वह हमारे अंदर विचार पैदा करती हैं। और उन विचारों से हमें कुछ ना कुछ महसूस होता है। भावनाएं आती है। यहां पर जो सीबीटी है। 

सीबीटी के अंदर जो फॉर्म होता है। उसके अंदर खानें बने होते हैं।

 ए_ ऐक्टिवेट इवेंट (सक्रिय घटना)
बी_ बिलीफ़ सिस्टम (मान्यता, विश्वास)
सी_ कंसीक्वेंस (परिणाम)
डी_ डिस्प्यूट (विवाद, बदलना)
ई_ इफेक्ट (प्रभाव)

उन खानों का मतलब

ए का मतलब ऐक्टिवेट इवेंट (सक्रीय घटना) एक ऐसी परिस्थिति जो हमारे दिमाग में विचारों को चालू करती है।

बी का मतलब बिलीफ सिस्टम (मान्यता) के उस व्यक्ति की मान्यता कैसी है। तो मान्यता वह अपने बारे में क्या सोचता है। वह समाज के बारे में क्या सोचता है। वह पूरी दुनिया के बारे में क्या सोचता है। और खासकर उस सक्रिय घटना के प्रति उसके विचार क्या है। 

सी का मतलब कंसीक्वेंस (परिणाम) मतलब जो विचार चल रहे हैं उसके दिमाग में जो मान्यता है उसकी उस मान्यता की वजह से उसे किस तरह के परिणाम महसूस हो रहे हैं। 


जैसे उसकी भावनाएं कैसी आ रही है।उसका व्यवहार कैसा होगा। और उस भावनाओं से जुड़ा कोई शारीरिक लक्षण कैसा होगा। जैसे गुस्सा, डिप्रेशन और जलसी के अंदर लोगों के अंदर अलग-अलग तरह के लक्षण होते हैं। 
जैसे 
  • हैडेक, गैस बनना, सांस लेने में तकलीफ, शरीर भारी भारी सा महसूस होना, शरीर के अलग-अलग भागों में दर्द महसूस होना, किसी काम में मन नहीं लगना, लोगों से मिलना जुलना अच्छा नहीं लगना।
 तो यह बहुत सारे शारीरिक लक्षण और मानसिक लक्षण आते हैं। तो यह ए बी और सी तो समझ में आ गया। 

डी का मतलब डिस्प्यूट (विवाद) दरअसल सीबीटी के अंदर व्यक्ति को विशेष परिस्थिति के अंदर जो विचार है। उसकी जो मान्यता है। उसको सोचने के लिए प्रेरित किया जाता है। किसी भी परिस्थिति के अंदर किस तरह का विचार आता है। किस तरह की मान्यता जुड़ी हुई है। और साथ ही उसे प्रेरित किया जाता है कि उस परिस्थिति के अंदर जो उसकी मान्यता है उसका जो विश्वास है। क्या यह मान्यता सही है क्या यह विश्वास वास्तविक है। अगर यह सही है अगर यह वास्तविक है तो उसका प्रमाण क्या है। अगर यह सही नहीं है तो इस परिस्थिति में इस विचार की जगह दूसरा कौन सा सकारात्मक विचार आना चाहिए। इस प्रक्रिया के माध्यम से जो बेकार (गलत) मान्यता होती है। जो बेकार विचार होता है। उसको हटा कर एक अधिक यथार्थवादी अधिक, अनुकूल विचार जोड़ दिया जाता है। इस बेकार विचार को हटा कर एक अधिक अनुकूल विचार जोड़ने की जो प्रक्रिया है। उसको डी डिस्प्यूट विचार बोलते हैं। 

ई का मतलब इफेक्ट (प्रभाव)। जो डिस्प्यूट की प्रक्रिया हुई है। जिसको हमने अधिक अनुकूल जो विचार जोड़ा है। उस विचार की वजह से जो भावनात्मक उत्थान होता है। उसको इफेक्ट बोलते हैं। जो भी भावनाओं में चाहे अच्छा महसूस हो रहा या बेहतर महसूस हो रहा है। यह है इफेक्ट।

 तो यहां पर खाने पूरे होते है। व्यक्ति को यह फॉर्म दे दिया जाता है। यह फॉर्म कुछ इस तरह दिखता है। आप देख सकते हैं कि यह फॉर्म किस तरह का होता है। 



व्यक्ति को यह फॉर्म दिया जाता है। उसको अलग-अलग परिस्थिति के अंदर यह बोला जाता है कि अलग-अलग परिस्थितियों को दिमाग में लाकर यह सोचा जाए कि उसमें किस तरह के विचार पैदा हो रहे हैं। उनको वहां पर किस तरह की भावनाएं आई थी। फिर वहां पर वह जो विचार आया था क्या वह वास्तविक था। उसकी जगह कौन सा विचार आ सकता था। और फिर उसका इफेक्ट (प्रभाव) क्या था।

आप भी अपने घर पर इस फॉर्म को इस तरह घर पर भर सकते हैं। इसका अभ्यास कर सकते हैं। आप भी एक पेपर लेकर उस पर अलग-अलग जो खानें हैं वो बना सकते हैं। ए बी सी डी और ई जिसमें आप पूरे दिन जो अलग-अलग तरह की भावनाएं आती है। उस भावनाओं से पहले जो विचार आ रहा था। उस विचार को लिखें और वह विचार किस परिस्थिति में आया था। उस परिस्थिति को भी लिखें। परिस्थिति जो यहां विचार आया था क्या वह सही था। क्या यह विचार यहां आना ही था। यह वास्तविक विचार था। इसकी जगह कोई और सकारात्मक विचार लाया जा सकता है। वह डिस्प्यूट में भरें और इसका इफेक्ट लिखें। और वह अनुकूल विचार डिस्प्यूट होता है तो कैसा काम महसूस होता है। 

तो आप पूरे दिन इस चीज की बहुत अच्छी तरह से अभ्यास कर सकते हैं। यहीं होमवर्क मिलता है सीबीटी के दौरान। इस चीज का आप घर पर बहुत अच्छे से अभ्यास करें। इस अभ्यास से ही आप अपने बेकार विचार को तोड़ सकते हो। और इसकी जगह अधिक अनुकूल विचार जो संभव हो सकता है उसको अपने ध्यान में रख सकते हो अपने दिमाग के अंदर जोड़ सकते हो। 

यह सब क्या होता हैं इसको हम एक उदाहरण के माध्यम से अच्छे से समझते हैं। जो उदाहरण हमने लिया था उसी उदाहरण को हम लेते हैं कि परिस्थिति यहां पर यह है कि आपका जो निजी व्यक्ति है। वह आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रहा है। तो इसकी वजह से मांन लो विचार दिमाग में यह आ रहा है कि उसने आपके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया। क्योंकि वह आपको जानबूझकर जलील करना चाहता है वह आप को नीचा दिखाना चाहता है। इसके कारण उसने यह खराब व्यवहार किया। अब जब आपके दिमाग में इस तरह का विचार आता हैं। तो आपको बहुत ज्यादा गुस्सा महसूस होता है। और इस गुस्से की वजह से जो बदले की भावना आ रही है कि उसने मुझे नीचा दिखाया तो मैं भी उस को नीचा दिखाऊंगा। तो बदले वाली जो भावना है उसकी वजह से भी विचार शुरू होते हैं। हमारे अंदर हमारे दिमाग में कुछ इस तरह के विचार आने शुरू हो जाते हैं कि उसने मेरे साथ ऐसा किया है। अगली बार जब वह मुझे मिलेगा तो मैं भी उसकी बेजती करूंगा। या मैं उससे बात नहीं करूंगा। या फिर मैं उसे नजरअंदाज कर लूंगा। या फिर मैं उसे कोई ऐसी बात बोलूंगा ऐसा ताना दूंगा जिसकी वजह से उसको जलील होना पड़े। या उसको नीचा देखना पड़े। या सब लोगों के सामने उसकी बेजती करूंगा। उसने मेरे साथ ऐसा कैसे कर लिया। तो हमारे दिमाग में एक विचार के बाद दूसरा विचार, तीसरा विचार, चौथा विचार ऐसे ही विचार चलने चालू हो जाते हैं। जिसके कारण हम ओवरथिंकिंग (ज्यादा सोचने की बीमारी) के शिकार हो जाते हैं। जैसे ही ओवरथिंकिंग का शिकार हो गए हमारा कार्य हमारे ही विचार के साथ हो गया तो अब आसपास हम अपना ध्यान नहीं दे पाते हैं। और बहुत ज्यादा अकेलापन महसूस करने लग जाते हैं। आसपास की परिस्थितियों के साथ भावनात्मक जुड़ नहीं पाते हैं। हम खुद ही विचारों के साथ उलझ जाते हैं। तो यह तो हो गया ए एक्टिवेट इवेंट। बी बिलीफ जो विचार पैदा हुआ था कि वह मुझे नीचा दिखाना चाह रहा है। और सी कंसीक्वेंस इसमें हम बहुत ज्यादा गुस्सा महसूस हो रहे हैं। और प्रतिशोध वाली भावना आ रही है। जिसकी वजह से पीछे से विचार आना शुरू हो जाते हैं। अब आते हैं डी डिस्प्यूट तो यहां पर अपने आप से ही प्रश्न पूछा जाए जैसा कि एक चिकित्सक प्रश्न पूछता है कि इस बात का क्या प्रमाण है कि जो सामने वाला है व्यक्ति है वह आपको जलील करना ही चाहता है। आपको नीचा दिखाना चाहता है। उसने जो खराब व्यवहार किया है। इसका मतलब यही है कि वह आप को नीचा दिखाना चाहता है। क्या उसने आपको कभी ऐसा कहा था। या पहले आपने कभी उसको नीचा दिखाया था। आपने इस तरह का व्यवहार करके उसको जलील किया था। क्या इस तरह के व्यवहार के पीछे हमेशा यही कारण होता है कि कोई आपसे खराब व्यवहार कर रहा है तो इसका हमेशा यही कारण होता है कि व्यक्ति आपको नीचा दिखाना चाहता है। या इस प्रकार के व्यवहार के पीछे कोई और भी कारण हो सकता है। यहां पर तो सिर्फ एक ही कारण को लिया जा रहा था कि जो व्यक्ति है वह एक ही कारण सोच रहा है कि इसको इसका जो खराब व्यवहार है उसके पीछे एक ही कारण है कि वह मुझे नीचा दिखाना चाहता है। यहां से इसको बदला जाता है बहु क्रियात्मक की तरफ कि इस व्यवहार के पीछे और भी तो कोई कारण हो सकता है। कोई व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत समस्या को लेकर परेशान है। किसी और मामले को लेकर परेशान है तब भी वह लोगों के साथ खराब व्यवहार कर सकता है। जैसे ही यह अनुकूल विचार दिमाग में आता है तो जो भावना आ रही है। पहले जहां गुस्से वाली भावना आ रही थी वहीं अब सहानुभूति वाली भावना आने लग जाती हैं। उसके प्रति देखभाल की भावना आने लग जाती है कि शायद हो सकता है कि वह अपने किसी काम को लेकर परेशान है या अपनी व्यक्तिगत समस्या को लेकर परेशान है। जिसकी वजह से उसने यह खराब व्यवहार किया हो।  पहले जो गुस्से वाली भावना आ रही थी वहीं अब देखभाल वाली भावना आने लग जाती है कि वह किस समस्या को लेकर परेशान होगा। मुझे उसकी मदद करनी चाहिए। मुझे उसके परिवार वालों से पूछना चाहिए कि कहीं वह किसी चीज को लेकर परेशान तो नहीं है। अगर परेशान है तो मैं उसकी मदद करूंगा। मैं उसकी परेशानी को दूर करुंगा। क्योंकि पहले उसने भी मेरी मदद की थी। तो दोस्त होने के नाते रिश्तेदार होने के नाते मुझे भी उसकी मदद करनी चाहिए। 


तो यह एक पूरा समूह (संग्रह) है। जिसमें ए बी सी डी और ई है। ए में हमने एक्टिवेट इवेंट के बारे में जाना। बी जो उसका बिलीफ (मान्यता) थी कि नीचा दिखाना जलील करने का जो उसके दिमाग में विचार आया। सी कंसीक्वेंस जो उससे गुस्सा महसूस हुआ। डी डिस्प्यूट किया गया। इस विचार को कि जो उस को नीचा दिखाने वाला जो विचार है वह बेकार (गलत) विचार है। इसकी जगह अधिक अनुकूल विचार जोड़ा गया कि जो वह खराब व्यवहार है इसलिए किया कि वह किसी अपनी व्यक्तिगत समस्या से परेशान होगा। ई इफेक्ट पहले जहां उसे वह बहुत ज्यादा गुस्सा महसूस हो रहा था। बदले की भावना आ रही थी। वही अब वह सहानुभूति वाली भावना आ रही है। पहले वह बदला लेना चाहता था। वहीं अब वह मदद करना चाह रहा है।

 तो यह ए बी सी डी और ई से आप भी अपने घर पर इस तरह का समूह तैयार करके अलग-अलग परिस्थिति के अंदर आपको जो भी महसूस हो रहा है जो भी भावना आ रही है। वह इस खानों के अंदर उनको भरकर आप अपने विचारों को सही कर सकते हैं। आप अपनी सोच को बदल सकते हैं। आप अपनी मान्यता को बदल सकते हैं। 

पूरे दिन हमारे आस पास बहुत आयोजन होते हैं। सुबह से लेकर शाम तक इतने सारे आयोजन होते हैं उन आयोजनों में कुछ नकारात्मक घटनाएं होती है। कुछ सकारात्मक घटनाएं घटती है। सकारात्मक घटनाएं तो वैसे ही हमें अच्छा महसूस कराती हैं। हम चाहते हैं कि जो नकारात्मक घटनाएं हो रही है उन सारी नकारात्मक घटनाओं मे हमे अच्छा महसूस हो। तो जितनी भी नकारात्मक घटनाए हो रही है उन सारी नकारात्मक घटनाओं को लिखें। उन घटनाओं के कारण जो आपके विचार आ रहे हैं। जो विचार बेकार विचार है उस विचार को लिखें। और विचार के साथ आपको क्या महसूस हो रहा है उसको लिखें। उसके बाद डिस्प्यूट करें। आप अपने आप की सच्चाई चैक करें कि जो विचार दिमाग में आ रहा है वह वास्तविक है। अगर यह विचार वास्तविक नहीं है तो मुझे यहां पर कौन सा विचार लाना चाहिए। मुझे और कौन-कौन से कारण को जोड़ना चाहिए। और कौन सा वास्तविक विचार सकारात्मक हो सकता है जोड़े। फिर उसका इफेक्ट भी लिखें।

 आप रोजमर्रा की जिंदगी में जैसे-जैसे अभ्यास करते जाएंगे वैसे वैसे सकारात्मक विचार जुड़ते जाएंगे। आपके आसपास जितनी भी परिस्थितियां हो रही है। यह सब सीखने का मामला है आप जितना ही अच्छा सीखेंगे उतना ही परिस्थितियों के साथ में जो वास्तविक विचार है वह जुड़ते जाएंगे। जैसे जैसे वास्तविक विचार जुड़ते हैं वैसे वैसे आसपास जो भी परिस्थितियां है उसमें अपने आप वास्तविक विचार आते जाएंगे। जब वास्तविक विचार आएंगे तो भावनाएं भी अच्छी आएगी। भावनाएं अच्छी आएगी तो आप दिमागी तौर पर हमेशा फ्री रहेंगे। तो आपका बीता कल परेशान नहीं करेगा और ना ही आने वाला कल। और आप हमेशा खुशी महसूस करोगे।

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