मेंटल हेल्थ काउंसलिंग बाय पृथ्वी में आप सब का बहुत-बहुत स्वागत है।
हर व्यक्ति चाहता है कि वह अपने जीवन में हमेशा खुश रहे, सकारात्मक रहे। पर किसी काल्पनिक विचारों के कारण वह ना चाहते हुए भी दुखी रहने लग जाता है। वह परिस्थिति धीरे-धीरे उसे डिप्रेशन की ओर ले कर चली जाती है। ऐसे में उस व्यक्ति को किसी के सहारे की जरूरत होती है।
बहुत सारे लोग अलग-अलग तरह की मानसिक परेशानियों से गुजर रहे हैं तो उनको सहारे की जरूरत होती है। बस यही मकसद मेंटल हेल्थ काउंसलिंग बाय पृथ्वी का है। उन लोगों तक ऐसे जानकारी पहुंचाना जिसकी उन्हें जरूरत है।
इंटरनेट की पहुंच अब हर छोटे से छोटे गांवों तक पहुंच गई है। लोगों ने इंटरनेट को सीखने का जरिया बनाया है। आजकल इंटरनेट पर हर वह जानकारी मिल जाती है जो व्यक्ति ढूंढना चाहता है। चाहे वह लेख के माध्यम से हो या वीडियो के माध्यम से हो। आपको हर जानकारी गूगल और यूट्यूब के माध्यम से मिल जाती है।
हमारा मानना है कि हिंदी भाषा की बात ही कुछ अलग है। जब कोई जानकारी हम हिंदी में पढ़ते हैं या हिंदी में वीडियो देखते हैं। तो हमें अपनापन सा महसूस होता है। हो भी क्यों नहीं हिंदी हमारी मातृभाषा जो है। जब हमें अपनी भाषा में कुछ जानने या सीखने को मिले तो एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है। हम सब हिंदी से प्यार करते हैं इसलिए हम आपके लिए मेंटल हेल्थ काउंसलिंग बाय पृथ्वी लेकर आए हैं। जिसका एकमात्र मकसद है कि आपको हिंदी में मानसिक समस्याओं के प्रति जानकारी पहुंचाना। ताकि आपको सभी मानसिक समस्याओं के प्रति सही जानकारी मिल सके। यही कारण है कि मेंटल हेल्थ काउंसलिंग बाय पृथ्वी वेबसाइट में हिंदी में लेख लिखते हैं।
इस वेबसाइट पर लगभग आपको हर प्रकार के मानसिक समस्याओं के बारे में जानकारी मिलेगी। जैसे डिप्रेशन, तनाव, अवसाद, फोबिया, घबराहट, चिंता, ओसीडी, ओवरथिंकिंग आदि।
इस वेबसाइट के अनुभव का फायदा आपको जरूर मिलने वाला है। क्योंकि इस वेबसाइट के जरिए आपको यहां पर हर प्रकार की मानसिक समस्या की पूरी जानकारी मिलेगी। और उस मानसिक समस्या से बाहर कैसे आया जाए। मानसिक बीमारी के समझने में आपको बहुत ज्यादा मदद मिलेगी। यह वेबसाइट जो मानसिक तौर पर परेशान रहते हैं उनके लिए बहुत खास होने वाली है।
पहले हम थोड़ा सा समझ लेते हैं कि किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या शुरू क्यों होती है
हमारे दिमाग में अनगिनत, असंख्य न्यूरॉन का संग्रह होता है। जैसे इलेक्ट्रॉनिक बिजली के तारों का समूह होता है।
हम कोई नया घर बनाते हैं तो वह घर कैसा बनेगा वह हमारे घर के नक्शे के ऊपर निर्भर करता है। ठीक वैसे ही हम हमारे जीवन में क्या करेंगे, क्या बनेंगे, हमारा व्यवहार कैसा होगा, हमारी भावनाएं कैसी होगी। वह हमारे आसपास के वातावरण, हमारे आसपास के माहौल, हम जिनके साथ रहते हैं उनके व्यवहार पर निर्भर करता है। हमारे वातावरण, माहौल से हम जो सीखते हैं, देखते हैं वैसे ही हमारे न्यूरॉन के पैटर्न बन जाते हैं। हमारा वातावरण सकारात्मक होता है। तो हमारे न्यूरॉनल पैटर्न भी सकारात्मक बनते हैं। और अगर हमारा वातावरण नकारात्मक है तो हमारे जो न्यूरॉनल पैटर्न हैं वह नकारात्मक बनेंगे। अगर एक बार हमारे न्यूरॉनल पैटर्न नकारात्मक बन गए तो हमें हमारी हर एक परिस्थिति में जो भी विचार आएंगे वह नकारात्मक ही होंगे। और उन नकारात्मक विचारों के कारण नकारात्मक भावनाएं आती हैं। और हम धीरे-धीरे डिप्रेशन में चले जाते हैं।
मेरे बारे में
मैं पृथ्वी सिंह राजपुरोहित मैं भी डिप्रेशन का शिकार हुआ था। मैं भी डिप्रेशन से ग्रस्त हुआ था। पहले तो मुझे थोड़ी थोड़ी बेचैनी होती थी। फिर धीरे-धीरे बढ़ते बढ़ते मन दुखी सा रहने लगा फिर धीरे-धीरे एक अजीब सा डर सा लगना शुरू हो गया। जैसे ही किसी परिस्थिति को लेकर मेरे मन में डर के काल्पनिक विचार आते तो अजीब सा डर महसूस होने लग जाता था। मैंने मेरी जिंदगी में एक गलती की कि मैं मेरे काल्पनिक डर के विचारों को स्केप (भागना) करने लगा। जैसे जैसे मैंने अपने डर से भागना शुरू किया। वैसे वैसे वह काल्पनिक डर का विचार और मजबूत होता गया। धीरे-धीरे डर मेरे ऊपर इतना हावी हो गया कि मैंने घर से निकलना ही छोड़ दिया। हम जिस काल्पनिक विचार से एक बार भाग लेते हैं। तो हमें थोड़े समय के लिए तो बहुत अच्छा महसूस होता है लेकिन जैसे-जैसे हम किसी भी परिस्थिति से भागते हैं तो वो काल्पनिक डर वास्तविक डर में बदलना शुरू हो जाता है। मैंने बहुत जगह इलाज कराया। बहुत तरह की दवाइयां भी ली। लेकिन दवाइयां लेने से मुझे ज्यादातर नींद ही आती थी।और जब तक दवाई लेता था तब तक ठीक महसूस होता था लेकिन जैसे ही दवाई बंद करता तो और भी हालत ज्यादा खराब हो जाती।
तो मैंने इस समस्या के बारे में जानने की कोशिश की गूगल पर सर्च करने लगा और यूट्यूब पर वीडियो देखने लगा। मैंने अपनी समस्या को जानने के लिए बहुत कोशिश और मेहनत की। कई महीनों तक कोशिश के बाद मैंने अपनी समस्या को अच्छी तरह से समझा और जाना। और मैं इस समस्या से बाहर आ पाया। जहां तक मैने समझा है कोई भी मानसिक समस्या सिर्फ़ हमारे सोचने समझने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है। मैं मेरा वही एक्सपीरियंस इस वेबसाइट पर साझा कर रहा हूं।
अगर मेरी इस वेबसाइट के माध्यम से कोई एक भी व्यक्ति अगर इस समस्या से बाहर आ जाता है, ठीक हो जाता है तो मेरा इस वेबसाइट को बनाने का मकसद पूरा हुआ समझूंगा।
धन्यवाद
